न्यूज चक्र @ सेन्ट्रल डेस्क
राजस्थान में अलवर व अजमेर लोकसभा सीटों और मांडलगढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए आज सोमवार को मतदान हुआ। अलवर में 11, अजमेर में 23 और मंडलगढ़ में 8 उम्मीदवारों के बीच हुई इस टक्कर का परिणाम 1 फरवरी को आ जाएगा। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और अजमेर से बीजेपी सांसद प्रो. सांवर लाल जाट, अलवर से बीजेपी सांसद चांद नाथ योगी और मांडलगढ़ से बीजेपी विधायक कीर्ति कुमारी का निधन होने से सीटें खाली हुई थीं। तीनों सीटें भाजपा के पास थीं, इसलिए इन सीटों पर भाजपा की वापसी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और महामंत्री संगठन चंद्रशेखर के लिए चुनौती है। इस उपचुनाव के परिणाम जनता के वर्तमान मूड को बताने वाले होने के साथ आगामी चुनाव में जनता के मूड को प्रभावित करने वाले भी रहेंगे।
अजमेर सीट से बीजेपी ने सांवर लाल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा को मैदान में उतारा। सांवरलाल जाट ने लोकसभा चुनाव में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को शिकस्त दी थी। अलवर से बीजेपी ने डॉ. जसवंत सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है। जसवंत सिंह वसुंधरा सरकार में श्रम मंत्री हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. करण सिंह यादव रहे ।
वसुंधरा से असंतुष्टि न बन जाए हार का कारण
राजस्थान की जनता विशेषकर किसान व कई भाजपा नेता भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की कार्यशैली से असंतुष्ट माने जाते हैं। केन्द्रीय नेतृत्व को भी इसकी शिकायतें लगातार मिलती रही हैं। राजस्थान में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने से, उससे पहले अगर इन तीन सीटों में से एक भी सीट भाजपा के हाथ से निकल गई तो ये वसुंधरा राजे सिंधिया की कार्यशैली पर सवालिया निशान होगा।
मुख्यमंत्री खुद इस बात को भांप चुकी थीं, इसीलिए चुनाव से दो दिन पूर्व ही उन्होंने अजमेर में रोड शो के जरिये मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की। साथ ही प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर 15 दिन तक इन तीनों सीटों पर डेरा जमाए रहे। चंद्रशेखर ने अपनी निगरानी में चुनाव का पूरा प्रबंधन देखा।
8 साल बाद राजस्थान को मिला संगठन महामंत्री
राजस्थान विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीते साल सितम्बर में ही करीब 8 साल से खाली चल रहे संगठन महामंत्री के पद पर केन्द्रीय नेतृत्व ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के तेजतर्रार और युवा संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को तैनात किया था। आरएसएस से जुड़े चंद्रशेखर उत्तरप्रदेश चुनाव में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
पद संभालते ही 28 दिन के भीतर चंद्रशेखर ने पूरे राजस्थान का तूफानी दौरा कर जमीनी हकीकत जानी और चुनाव प्रबंधन की बागडोर को अपने हाथों में ले लिया। चंद्रशेखर ने बूथ प्रबंधन, पन्ना प्रमुख नियुक्त करने के साथ साथ सभी मोर्चा और प्रकोष्ठों की बैठकें लेकर उनमें जान फूंकने की कोशिश की, लेकिन विधानसभा चुनावों की तैयारी से पहले ही तीन सीटों पर उप चुनाव आ गए। अब देखना ये होगा कि पिछले चार महीनों में चंद्रशेखर ने राजस्थान में जो मशक्कत की वो क्या असर दिखाती है।
राजस्थान उपचुनाव: इसलिए है ये बड़ी चुनौती
तीनों सीटें भाजपा के पास थीं, इसलिए इन सीटों पर भाजपा की वापसी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और महामंत्री संगठन चंद्रशेखर के लिए चुनौती