न्यूज चक्र @ बून्दी
रामगढ़ वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र ( बून्दी शहर ) में पर्यटकों व आमजन के लिए वन विभाग (वन्य जीव) की सहमति से पैदल आवाजाही रविवार 21 जनवरी को सुबह 10 बजे से अपराह्न 3 बजे तक के लिए (प्रतिदिन) शुरू कर दी जाएगी। सम्भाग मुख्यालय कोटा में गुरुवार को सम्भागीय आयुक्त कोटा, पुलिस महानिरीक्षक कोटा, जिला कलक्टर बून्दी, पुलिस अधीक्षक बून्दी व विश्व हिन्दू परिषद के बून्दी एवं प्रांतीय पदाधिकारियों के साथ चर्चा होने के बाद यह निर्णय लिया गया।
इस निर्णय के अनुसार अभयारण्य क्षेत्र में पैदल आवाजाही की ही अनुमति होगी। किसी भी प्रकार के चौपहिया, दोपहिया वाहन, साइकिल आदि की अनुमति नहीं होगी। आमजन व पर्यटकों को यह अनुमति धारा 144 सीआरपीसी के प्रावधानों की पालना की शर्त पर होगी। टाइगर हिल क्षेत्र स्थित मानधाता छतरी क्षेत्र में पुरातत्व विभाग का सर्वे कार्य जारी है। इसलिए पुरातत्व अवशेषों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुरातत्व टीम द्वारा निषिद्ध क्षेत्र की सीमा तक ही आमजन व पर्यटक जा सकेंगे। अर्थात लोगों को मान्धाता छतरी को दूर से ही देखना होगा।
विहिप के कूच के ऐलान पर एक्शन में आया प्रशासन
गौरतलब है कि ताजा मामले में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से इस मसले पर बून्दी कूच की घोषणा की गई थी। हालांकि इसके लिए कोई तारीख तय नहीं थी। इसी के चलते प्रशासन इस बार गत बार जैसी चूक नहीं कर तुरंत एक्शन मोड़ में आ गया। उल्लेखनीय है कि इस घटनाक्रम की शुरुआत विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल व हिन्दू महासभा की ओर से 1 जनवरी को टाइगर हिल स्थित मान्धाता छतरी पर पूजा-अर्चना करने की घोषणा से हुई थी। प्रसिद्ध सूफी संत मीरा साहब की दरगाह से कुछ दूरी पर स्थित इस छतरी पर प्रशासन मुस्लिम समुदाय की नाराजगी को देखते हुए ऐसा करने नहीं दे रहा था। 1 जनवरी से कुछ दिन पूर्व इस मसले पर प्रशासन की विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल के पदाधिकारियों से वार्ता हुई। इसमें प्रशासन ने पुरातत्व विभाग से छतरी का सर्वे करवाने के बाद उसका पुनर्निर्माण करवाने आदि का आश्वासन दिया। इस पर ये दोनों संगठन तो इस आंदोलन से पीछे हट गए। मगर हिन्दू महासभा ने कहा कि आंदोलन की घोषणा तो हमने की थी, इसलिए हम इससे पीछे नहीं हटेंगे। इस पर तय तारीख 1 जनवरी से पूर्व ही पूरे शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। 31 दिसम्बर की सुबह 6 बजे से जिलेभर में इंटरनेट व एसएमएस पर रोक लगा दी गई। धारा 144 पहले से ही लागू थी। सारे उपाय करने के बावजूद प्रशासन हिन्दू महासभा के आह्वान पर उमड़े लोगों को नहीं रोक सका। 1 जनवरी को शहर में जिलेभर से हजारों लोग आ पहुंचे। धारा 144 के बावजूद ऐसा हो जाना जिला व पुलिस प्रशासन की भारी नाकामी रही। शहरवासियों व हिन्दू संगठनों के सदस्यों के बीच घमासान हो गया। हजारों की संख्या में जुलूस के रूप में मालनमासी बालाजी के आगे मीरा गेट तक जा पहुंचे इन लोगों पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसमें भाजपा के पदाधिकारी अमित निम्बार्क का सिर फटने से वे गम्भीर घायल हो गए। बड़ी संख्या में अन्य लोगों को भी काफी चोटें आईं। लाठीचार्ज के बाद पूरे शहर में भारी बवाल मच गया। इस दौरान भाजपा नेता व बून्दी विधायक अशोक डोगरा पूरी तरह नदारद रहे। भाजपा जिलाध्यक्ष महिपत सिंह हाड़ा भी कई घंटे बाद सायं सात बजे करीब जिला अस्पताल में भर्ती घायलों का हाल जानने कोटा से पहुंचे सांसद ओम बिरला के साथ ही नजर आए। हालांकि यह माना जा रहा था कि इस आंदोलन को हाड़ा का समर्थन रहा। सांसद बिरला व हाड़ा को आक्रोशित भाजपा व हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ा। इन नेताओं को काफी खरी-खोटी सुनाई। यहां तक कहा कि भाजपा के राज में ही हमारे ऊपर लाठीचार्ज हो रहा है तो इसका हमारे लिए मतलब ही क्या है। आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने कह डाला कि चुनाव में भाजपा की जगह नोटा पर ही वोट देंगे। इस दौरान बिरला व हाड़ा दोनों सिर झुकाए उनके आक्रोश को झेलते रहे।
पांच जनवरी को हुई पूजा-अर्चना
इसके बाद लगातार बून्दी शहर तो बंद रहा ही, जिले के अन्य कस्बे भी लाठीचार्ज के विरोध में क्रमवार बंद होते रहे। प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद बून्दी शहर के दुकानदार बाजार खोलने पर राजी नहीं हो रहे थे। इन दिनों शहर में जगह-जगह छोटी-बड़ी विरोध की घटनाएं होती रहीं। पुलिस लोगों की धरपकड़ में लगी रही। ऐसे में प्रशासन को झुकना पड़ा। आंदोलनकारियों की मांग थी कि मान्धाता जी की छतरी पर स्थित बालाजी की प्रतिमा की हमसे नहीं तो किसी अधिकारी से ही दीया लगा कर पूजा करवा ली जाए। इसी पर प्रशासन ने 5 जनवरी को वन विभाग के अधिकारी से दीया लगवा दिया। एक साधु ने जिद की तो उनसे भी पूजा करवा ली गई। मगर तनाव के मद्देनजर इंटरनेट पर बंदिश लगातार बढ़ाई जाती रही। यह 11 जनवरी की सुबह शुरू हो सका। इस बीच विश्व हिन्दू परिषद ने आंदोलन में गिरफ्तार किए गए लोगों पर से मुकदमे हटाने, छतरी पर आमजन को भी पूजा-अर्चना की अनुमति देने आदि मांगों पर बून्दी कूच की घोषणा कर दी थी।
शहर काजी कादरी शांति दूत और सुनील हाड़ौती हिन्दू अगुवा के रूप में उभरे
इस पूरे प्रकरण में 5 जनवरी को प्रशासन व जन प्रतिनिधियों के साथ मामला सुलझाने के लिए हुई मीटिंग में हिन्दू पक्ष की मांग पर सहमति जताने का बड़ा जोखिम शहर काजी मुन्ना शकूर कादरी ने लिया। इससे मुस्लिमों के एक गुट में भारी नाराजगी हो गई। यह प्रशासन व राज्य सरकार के गले की हड्डी बन चुकी इस समस्या से भारी राहत दिलाने वाला रहा। साथ ही शहर हिन्दू वादियों के आक्रोश की आग से जलने से बच गया। इस मामले का असर हाड़ौती के बाहर पूरे राज्य में होता जा रहा था। वहीं विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल के प्रशासन के आश्वासन पर पीछे हटने के बाद मांग को जिन्दा रखने व अंत तक डटे रहने से हिन्दू महासभा के सुनील हाड़ौती इस पक्ष के लाखों लोगों के हीरो बन गए। हालांकि 5 जनवरी को छतरी पर प्रतीकात्मक रूप से पूजा-अर्चना होने के बाद विश्व हिन्दू परिषद ने नए सिरे से इस मुद्दे को अपने हाथों में ले लिया व ताजा फैसले तक लाकर छोड़ा।